ऐपवा के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर महिलाओं ने किया अनशन #CORONA

*भूख, मुस्लिमों के खिलाफ कोरोना के नाम पर नफरत और महिला हिंसा पर रोक लगाने की मांग की*

*रोटी, न्याय और सामाजिक सौहार्द के लिए संघर्ष तेज करने की अपील*

*ऐपवा महासचिव मीना तिवारी, राज्य सचिव शशि यादव, राज्य अध्यक्ष सरोज चौबे सहित बिहार में हजारों महिलाओं ने अपने आवास पर किया अनशन*

*प्रो. भारती एस कुमार, अधिवक्ता अलका वर्मा और मीरा दत्त भी रहीं समर्थन में*
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पटना 23 अप्रैल 2020

ऐपवा के राष्ट्रीय आह्वान पर आज बिहार में हजारों महिलाओं ने एकदिवसीय भूख हड़ताल किया. यह भूख हड़ताल भूख, कोरोना के नाम पर साम्प्रदायिकता और महिला हिंसा पर रोक लगाते हुए सबके लिए रोटी, न्याय व सामाजिक सौहार्द बनाये रखने की अपील के साथ की गई थी.

भूख हड़ताल के समर्थन में पटना विश्वविद्यालय की इतिहास विभाग की पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर भारती एस कुमार और पटना उच्च न्यायालय की अधिवक्ता अलका वर्मा ने भी अपने आवास पर धरना दिया. तलाश पत्रिका की संपादक मीरा दत्त भी अनशन पर रहीं.

राजधानी पटना में ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी , चितकोहरा में शशि यादव, ऐपव राज्य कार्यालय में सरोज चौबे; गया में रीता वर्णवाल; सिवान में सोहिला गुप्ता; भोजपुर में इंदु सिंह, संगीता सिंह व शोभा मण्डल; दरभंगा में शनिचरी देवी, मुजफ्फरपुर में रीना प्रसाद आदि प्रमुख नेताओं ने भूख हड़ताल किया. जहानाबाद, भागलपुर, गोपालगंज, पटना जिला के धनरुआ-फुलवारी-मसौढ़ी, नालंदा, संमस्तीपुर, नवादा आदि जगहों पर भी भूख हड़ताल किया गया.

इन नेताओं के अलावा पटना में ऐपवा नेता अनीता सिन्हा,  फुलवारी में नसरीन बानो, अफसा जबीं; चितकोहरा में मंजू यादव, आबदा खातून, आयशा, शबाना खातून, सुमंती देवी, निर्मला देवी, पुष्पा देवी, नगमा परवीन, हिना परवीन आदि नेताओं ने एकदिवसीय अनशन किया. कई छात्राएं भी उपवास पर रहीं

उपर्युक्त मांगों के अलावा आज के अनशन में बिना भेदभाव के सबके लिए राशन का प्रबंध करने; कोरोना मरीजों, स्वास्थ्य कर्मियों के साथ छुआछूत बंद करने;
साम्प्रदायिक जहर फैलाने वालों को सजा का प्रबंध करने;
सरकारी राशन दुकानों से बच्चों के लिए दूध मुफ्त वितरित करने;  महिलाओं के लिए सैनेटरी पैड मुफ्त वितरित करने; कोरोना के बहाने मुसलमानों के बारे में झूठी खबरें और नफरत भड़काने वाले मीडिया समूहों को प्रतिबंधित करने; मुस्लिमों के सामाजिक – आर्थिक बहिष्कार का विरोध करने; महिलाओं को हिंसा से बचाने के लिए 24×7 हॉटलाइन सेवा शुरू करने; स्वास्थ्य और सफाई कर्मियों की सुरक्षा और उचित मेहनताने का प्रबंध करने;
ट्रांसजेंडर के साथ भेदभाव बन्द करने व उनकी सुरक्षा और राशन की व्यवस्था करने आदि मांगें उठाई गईं.

इस मौके पर *मीना तिवारी* ने कहा कि कोरोना काल मे एक ओर लोग जहां भूख की समस्या से जूझ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कोरोना के नाम पर मुसलमानों के खिलाफ सचेतन नफरत फैलाने का अभियान चलाया जा रहा है. नियमों का उल्लंघन करते हुए सरकार तब्लीगी जमात के कोरोना मरीजों की अलग से संख्या बता रही है. अहमदाबाद में हिंदू-मुस्लिम मरीजों के लिए अलग अलग वार्ड बनाया गया है. सरकार की शह पर मीडिया दिन – रात झूठ और नफरत फैलाने में लगी हुई है. आम लोग इन्हीं स्रोतों पर भरोसा कर लेते हैं. समाज में अगर यह नफरत बढ़ा तो इसकी शिकार महिलाएं होंगी. मुसलमानों का सामाजिक – आर्थिक बहिष्कार किया जा रहा है. उनकी दुकानों से सामान नहीं खरीदने के लिए लोगों को उकसाया का रहा है. इस पर तत्काल रोक लगनी चाहिए.

शशि यादव ने कहा कि लॉक डाउन में महिला हिंसा में वृद्धि हुई है. यहां तक कि क्वारनटाइन में बलात्कार की घटना को अंजाम दिया गया. जहानाबाद के दयाली बिगहा और औरंगाबाद के अकौनी में घर में घुस कर महिलाओं की बर्बर पिटाई की घटना हुई. हम सरकार से लगातार ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार पर कोई असर नहीं पड़ रहा है. हम महिलाओं पर जारी हिंसा और पुलिस दमन पर तत्काल रोक लगाने की मांग करते हैं.

सरोज चौबे ने कहा कि कोरोना का बहाना बनाकर केंद्र सरकार ने भ्रूण हत्या पर लगी रोक को खत्म कर दिया है. हम आज के कार्यक्रम के जरिये इसका प्रतिवाद करते हैं.

ऐप नेताओं ने कहा कि इस विपदा की घड़ी में हम शारीरिक दूरी बनाते हुए अपनी सामाजिक जिम्मेवारी निभाएंगे.

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