यंग इंडिया अधिकार मार्च की ओर बढ़ते कदम

दिल्ली : नागरिक समाज ने एकजुटता दर्शायी विगत 22 जनवरी 2019 को दिल्ली में यंग इंडिया राष्ट्रीय समन्वय समिति द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन और आम सभा कई पत्राकारों, बुद्धिजीवियों , वकीलों, प्रोफेसरों और विभिन्न क्षेत्र के कार्यकर्ताओं ने 7 पफरवरी 2019 को लाल किला से संसद तक होने वाले यंग इंडिया अधिकार मार्च के प्रति अपनी एकजुटता जाहिर किया है.

इनमें सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण, कार्यकर्ता और विधयक जिग्नेश मेवाणी, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोपफेसर नंदिनी सुंदर, रतन लाल और अपूर्वानंद, वरिष्ठ पत्राकार अनिल चमड़िया, वैज्ञानिक और कवि गौहर रजा, जेएनयू के प्रोफेसर जयति घोष और निवेदिता मेनन शामिल थे.

इस मौके पर जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष एन. साई बालाजी ने कहा, “मोदी एक बार फिर यंग इंडिया के सामने आएंगे. लेकिन इस बार हम उन्हें प्रधानमंत्री बनने का मौका नहीं देने जा रहे हैं. मोदी ने हमारा भविष्य चौपट कर दिया है. 7 फरवरी को युवा भारत की एकता मोदी सरकार की गद्दी हिला देगी और अपनी एकता के बल पर हम खाली पड़े तमाम सरकारी पदों को भरने, शिक्षा पर जीडीपी का 10 प्रतिशत खर्च करने तथा लैंगिक व सामाजिक न्याय हासिल करने की गारंटी करेंगे.”

 सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अध्विक्ता प्रशांत भूषण ने कहा, “मैं एक बैनर के तहत सभी छात्रों को एकताबद्ध करने की पहलकदमी से बहुत खुश हूं. नौजवानों को हर साल 2 करोड़ रोजगार देने का वादा करने वाली सरकार का भंडाफोड़ किया जाना चाहिए. इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि देश की सभी प्रमुख संस्थाओं पर भयानक हमले हो रहे हैं. जिस सरकार ने भ्रष्टाचार-मुक्त भारत का वादा किया था, वह रापफेल व नीरव मोदी के मुद्दे पर लगातार बेनकाब हो रही है. भ्रष्टाचार की रोकथाम करने वाले तमाम निकायों को सरकार ने अपनी मुट्ठी में ले लिया है और उनके अंदर के प्रमुख पद खाली पड़े हुए हैं.”

जेएनयू की प्रोफेसर निवेदिता मेनन ने कहा, मोदी सरकार ने विवि परिसरों को युद्ध क्षेत्र में बदल दिया है. यह गौर करना जरूरी है कि जो छात्र अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं, वे सिर्फ अपने लिए ही नहीं, बल्कि भविष्य की पीढ़ी के लिए लड़ रहे हैं. लैंगिक न्याय की गारंटी करने वाले निकायों की सख्त जरूरत है; और मोदी सरकार के खिलाफ छात्र जो लड़ाइयां लड़ रहे हैं, वह देशभक्ति है क्योंकि वे रोजगार, शिक्षा, लैंगिक व सामाजिक न्याय तथा संविधान-सम्मत आरक्षण को लागू कराने की मांग कर रहे हैं.”

निर्दलीय विधायक और कार्यकर्ता जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि गुजरात मॉडल बेरोजगारी से भरा हुआ है और मोदी सरकार वही मॉडल पूरे भारत में फैलाना चाहती है. महाराष्ट्र सचिवालय की कैंटीन में 13 वेटरों के पद के लिए 7000 स्नातकों ने आवेदन दिया है, जबकि इसके लिए चौथी कक्षा पास करने वालों की जरूरत है. मोदी सरकार ने देश में यही स्थिति पैदा कर दी है.”

प्रोफेसर अपूर्वानंद ने कहा, “हम अपने प्रधानमंत्री के तमाम अ-वैज्ञानिक वक्तव्यों की अतार्किकता व विवेकहीनता पर हंस सकते हैं, लेकिन इसके पीछे बहुसंख्यकवादी शासन बनाने की कोशिश छिपी हुई है. मौजूदा सरकार तमाम लोकतांत्रिक संस्थाओं को नष्ट कर रही है जिसे हर हाल में रोकना होगा. राष्ट्रीय स्तर पर पार्टियों के गठबंधन की तरह ही हमें देश भर में छात्रा-युवा आन्दोलनों के गठबंधन की जरूरत है.”

दिल्ली विवि के प्रोफेसर रतन लाल ने कहा, “यह सरकार कैंपसों में सामाजिक न्याय को बर्बाद कर रही है. वह डिप्राइवेशन अंक को खत्म कर रही है, विश्वविद्यालयों में आरक्षण पर हमले कर रही है और हाशिये पर खड़े तबकों से आने वाले छात्रों व प्रोफेसरों के लिए विश्वविद्यालयों के दरवाजे बंद कर रही है.”

उत्तरप्रदेश : छात्रा-युवा कन्वेंशन

यंग इंडिया नेशनल कोआर्डिनेशन कमिटी के बैनर तले 21 जनवरी को लखनउफ के नरही स्थित लोहिया मजदूर भवन में विश्वविद्यालयों, शैक्षणिक संस्थानों व गांव-देहात से आये छात्र-युवाओं का कन्वेंशन अयोजित किया गया।

कन्वेंशन को संबोध्ति करते हुए इनौस प्रदेश अध्यक्ष अतीक अहमद, आइसा के शिवा रजवार, आरएलडी छात्र सभा के प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक चौहान, एआईएसएफ से शिवानी, छात्र चिंतन सभा से अहमद रजा ने 7 फरवरी 2019 को लाल किला से संसद तक होने वाले ‘यंग इंडिया अध्किर मार्च’ में शामिल होने का आह्वान किया.

22 जनवरी को यंग इंडिया नेशनल कोआर्डिनेशन कमिटी ;वाईआईएनसीसी के बैनर तले इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ भवन से जिलाधिकारी कार्यालय तक जुलूस निकाला गया. छात्रसंघ भवन पर हुई संक्षिप्त सभा को आइसा इकाई अध्यक्ष नीलम सरोज, आइसा नेता शहवाज मलिक, सीवाईएसएस के जिलाध्यक्ष सद्दाम हुसैन आदि ने संबोध्ति करते हुए यंग इंडिया अध्किर मार्च को सफल बनाने की अपील की.

इनौस ने 23 जनवरी को गोरखपुर के जिला अधिवक्ता सभागार में छात्र-युवा संवाद का आयोजन कर 7 फरवरी को नई दिल्ली में आयोजित यंग इंडिया अधिकार मार्च में बड़ी संख्या में शामिल होने की अपील की।

संवाद कार्यक्रम को पूर्व छात्र नेता एवं आमी बचाओ मंच के अध्यक्ष विश्वविजय सिंह, अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति शिक्षक वेलपफेयर एसोसिएशन के महेंद्र गौतम, वरिष्ठ पत्राकार मनोज सिंह, पूर्वांचल सेना के सुरेंद्र वाल्मिकी, छात्र नेता सोनू सिद्दार्थ आदि ने संबोधित किया।  द्वारा लगातार चलाये जा रहे संघर्षों की सशक्त अनुगूंज अवश्य ही सुनाई पड़नी चाहिये. जो मांगें 29-30 नवम्बर 2018 को देश भर के किसान संगठनों के संसद मार्च द्वारा, 8-9 जनवरी 2019 को मेहनतकश लोगों की अखिल भारतीय हड़ताल द्वारा उठाई गई हैं, और साथ ही जो मांगें 7 फरवरी 2019 को आयोजित होने वाले यंग इंडिया अध्किर मार्च में उठाई जा रही हैं, उन मांगों को ही 2019 के चुनाव में जनता के चुनाव घोषणापत्र का बुनियादी बिंदु बनाना होगा. नागरिकता कानून में संशोधन  नहीं करने देना होगा और कठिन लड़ाइयों के बल पर हासिल जनता के सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से वंचित तबकों के लिये आरक्षण के अधिकार से सरकारों को खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं दी जा सकती. जोर-जुल्म के बल पर चलाये जा रहे शासन का अंत करने के साथ-साथ असहमति का दमन करने के लिये इस्तेमाल किये जाने वाले अत्याचारी कानूनों का अवश्य ही खात्मा करना होगा और भारत में स्वतंत्राता, समानता और भाईचारे के केन्द्रीय संवैधनिक आधर पर लोकतंत्रा को विकसित करने की राह विकसित करनी होगी.

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