
पटना में कारगिल चौक पर हुई विरोध सभा.
भारत भर में एनआरसी लागू करने की कोशिश में है मोदी सरकार, यह नागरिकता पर हमला है
पटना 6 नवंबर 2019असम के डीटेंशन कैंपों में 27 लोगों की मौतों के खिलाफ डीटेंशन कैंप को बंद करने और नागरिकता संशोधन बिल वापस करने की मांग पर आज भाकपा-माले के देशव्यापी आह्वान के तहत पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन किया गया. राजधानी पटना में कारगिल पर भाकपा-माले कार्यकर्ताओं ने विरोध सभा का आयोजन किया. विरोध -प्रदर्शन के दौरान माले कार्यकर्ता डीटेंशन कैंप में हुई मौतों के जिम्मेवार मोदी-शाह जवाब दो, देश भर में एनआरसी को थोपना बंद करो, डीटेंशन कैंपों को बंद करो, नागरिकता पर हमला नहीं सहेंगे आदि नारे लगा रहे थे.

पटना के अलावा आरा, अरवल, सिवान, जहानाबाद, पटना ग्रामीण के पुनपुन, दुल्हिन बाजार, मसौढ़ी; दरभंगा, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, नवादा, नालंदा आदि केंद्रों पर भी कार्यक्रम आयोजित किए गए.पटना में कारगिल चैक पर भाकपा-माले के वरिष्ठ नेता काॅ. राजाराम, केंद्रीय कमिटी के सदस्य व पटना नगर के सचिव अभ्युदय, माले की राज्य स्थायी समिति के सदस्य आरएन ठाकुर, राज्य कमिटी के सदस्य रणविजय कुमार, अनीता सिन्हा व रामबलि प्रसाद, उमेश सिंह, माले नेता मुर्तजा अली, जितेन्द्र कुमार, अनुराधा, संतोष पासवान, विश्वमोहन कुमार, अफशां जबीं, पटना सिटी से नसीम अंसारी , अनय मेहता, पन्नालाल सिंह, इनौस के विनय कुमार, लंकेश कुमार, बीएके शर्मा, केके सिन्हा आदि शामिल हुए. सभा को काॅ. राजाराम, अनिता सिन्हा व रामबली प्रसाद ने संबोधित किया जबकि संचालन रणविजय कुमार ने किया.

वक्ताओं ने कहा कि असम के डीटेंशन कैंपों में अब तक 27 लोगों की मौत हो गई है. फाइनल सूची के पहले 25 लोग मारे गए और उसके बाद दो लोगों की मौत हुई है. इन दो लोगों में 70 वर्षीय फालू दास और 65 वर्षीय दुलाल चंद्र पाल शामिल हैं. दुलाल पाल और फालू दास के परिवार ने उनके शव लेने से इंकार करते हुए कहा है कि अगर वे बांग्लादेशी थे, तो बांग्लादेश में उनके परिवार को तलाशिये, और शव को बांग्लादेश भेजिए. नहीं, तो मानिये कि वे भारत के नागरिक थे जिनकी हत्या सरकार द्वारा डीटेंशन कैम्प में हुईं. इन मौतों के लिए पूरी तरह से मोदी-शाह की जोड़ी जिम्मेवार है. भाजपा ने असम के लगभग 19 लाख लोगों की नागरिकता को खतरे में डाल दिया है. इन लोगों को डीटेंशन कैंपों में डाला जा रहा है जहां लोगों की लगातार मौतें हो रही हैं.

आगे कहा कि आज भाजपा-आरएसएस के लोग पूरे देश में एनआरसी थोपना चाहते हैं. अमित शाह अब देश भर में एनआरसी लागू करवाने पर आमादा हैं, जिसमें हर किसी को कागजात के जरिए साबित करना होगा कि 1951 में उनके पूर्वज भारत में वोटर थे. हर राज्य में डीटेंशन कैम्प खुलवा रहे हैं- महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल में ऐसे कैम्प बन रहे हैं. गरीब तो बीपीएल की सूची, वोटर लिस्ट, आधार आदि से भी बाहर रह जाते हैं. वे 1951 के अपने पूर्वजों के कागजात कहाँ से लाएंगे? अगर न ला पाएं तो उन्हें डीटेंशन कैम्प में डाल दिया जाएगा. मोदी – शाह कह रहे हैं कि अगर आप मुसलमान हैं तो आपको देश से निकाल दिया जाएगा, पर अगर आप हिन्दू या गैर मुसलमान हैं, तो हम नागरिकता कानून में संशोधन करके आपको शरणार्थी मान लेंगे. इस तरह आज नागरिकों की नागरिकता पर भाजपा-आरएसएस ने खतरा पैदा कर दिया है. उन्हें या तो डीटेंशन कैम्प में मारा जाएगा, या नागरिक के बजाय शरणार्थी बना दिया जाएगा.

भाकपा-माले भाजपा-आरएसएस की इन कोशिशों को कभी कामयाब नहीं होने देगी. आने वाले दिनों में एनआरसी को वापस करने की मांगों पर और भी जोरदार आंदोलन किए जाएंगे. नालंदा में माले कार्यकर्ताओं ने बिहारशरीफ में धरना दिया. जिसका नेतृत्व पार्टी के जिला सचिव सुरेन्द्र राम, मकसुदन शर्मा, मनमोहन, पाल बिहारी लाल आदि नेताओं ने किया.

मसौढ़ी में कार्यक्रम का नेतृत्व पार्टी की केंद्रीय कमिटी के सदस्य व खेग्रामस के राज्य सचिव गोपाल रविदास, अकलू पासवान, विनेश चैधरी, कमलेश कुमार आदि नेताओं ने किया. अरवल में विरोध मार्च का नेतृत्व पार्टी के जिला सचिव महानंद, विजय यादव, जितेन्द्र यादव आदि नेताओं ने किया.नवादा में माले कार्यकर्ताओं ने मोदी का पुतला दहन किया. जहानाबाद में जिला सचिव श्रीनिवास शर्मा, किसान महासभा के राज्य सचिव का. रामाधार सिंह, हसनैन अंसारी आदि नेताओं ने शहर में मार्च किया और नागरिकता संशोधन बिल को वापस लेने की मांग की.