
जन एकता जन अधिकार अभियान (जेजा) के तहत वामपंथी व जनतांत्रिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने 6 जून 2018 को राजस्थान के उदयपुर शहर के टाउन हॉल से कलेक्टर कार्यालय तक मोदी और वसुन्धरा सरकार के खिलाफ ‘पोल खोल हल्ला बोल’ रैली निकाली और कलेक्टर कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया. पिछले वर्ष आज ही के दिन मंदसौर में किसानों के आन्दोलन पर पुलिस ने गोली चलाई थी जिसमें छह किसान मारे गए थे. उनकी शहादत की स्मृति में देश भर में बुधवार को जन एकता जन अधिकार अभियान के तहत प्रदर्शन किया गया. उदयपुर में अखिल भारतीय किसान सभा, अखिल भारतीय किसान महासभा, ऐक्टू, सीटू, एटक और जनतांत्रिक संगठनों के सदस्य टाउन हॉल पर एकत्रित हुए और सूरज पोल, बापू बाजार, दिल्ली गेट होते हुए कलेक्टरी पहुंचे जहाँ नारे लगाकर स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करने, किसानों पर लगाए झूठे मुकदमे वापस लेने, आदिवासी किसानों को वन अधिकार देने, शहरी कच्ची बस्तियों में रहने वालों को पट्टे देने, ठेले व रेहड़ी वालों को बेदखल न करने जैसी मांगें उठाई.
प्रदर्शन में माकपा के पूर्व पार्षद व सीटू के महासचिव राजेश सिंघवी ने कहा की जबसे मोदी सरकार आई है किसानाें, मजदूरों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े हैं. गरीब लोगों के वाजिब अधिकार नहीं दिए जा रहे हैं, और माल्या और नीरव मोदी जैसे बड़े पूंजीपति जनता का पैसा लेकर विदेशों में बैठे हैं. ऐसी सरकार को उखाड़ फेंकना बहुत आवश्यक है. भाकपा(माले) के जिला सचिव का. चन्द्र देव ओला ने कहा कि मोदी सरकार का एकमात्र उद्देश्य जनता को धर्म और जाति में बांटकर सत्ता हासिल करना है. किसानों की फसल की कीमत नहीं मिल रही है वही मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है. नोटबंदी और जीएसटी से व्यापारियों को भी नुकसान हुआ है और काम धंधे ठप हैं. ऐसी जनविरोधी सरकार के खिलाफ राज्य व केंद्र दोनों स्तर पर विरोध करना जरूरी है. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सचिव लहर सिंह छाजेड ने कहा की जनता महंगाई से परेशान हो गयी है. पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने से जनता का जीना मुहाल हो गया है.
किसान सभा के कामरेड बी एल छानवाल ने कहा कि गांवों में किसान बहुत कठिनाई भरा जीवन जी रहे हैं. पानी, बिजली, अनाज और स्वास्थ्य की समस्याओं की सुनवाई करने वाला कोई नहीं है. किसानों को फसल के उचित दाम नहीं मिल रहे हैं, जिसके चलते किसान कर्ज में हैं. उस पर सरकारी दमन जारी है. पुलिस और वन विभाग के कर्मचारी आदिवासी किसानों के खेत और घर उजाड़ देते हैं.
ऐक्टू के सचिव कामरेड सौरभ नरुका ने कहा कि भाजपा की केंद्र और राज्य सरकारें पूंजीपतियों को फायदा पहुचाने के लिए श्रम कानूनों को कमजोर करने मे लगी है. 2 करोड़ सालाना रोजगार के वादे के साथ आयी मोदी सरकार के चार साल के कार्यकाल के बाद आज बेरोजगारी रिकॉर्ड स्तर पर है. केंद्र में मोदी सरकार भ्रष्टाचार खत्म करने के नाम पर चुनकर आयी पर अभी तक लोक आयुक्त की नियुक्ति नहीं की गयी है और न विदेश से काला धन ही आया है.
सभा को ऐटक के सुभाष श्रीमाली, कच्ची बस्ती फेडरेशन के कामरेड देवड़ा, विजेंद्र चौधरी, एकलव्य नंदवाना आदि ने भी संबोधित किया. प्रदर्शन में भाकपा माले की राज्य समिति के सदस्य कामरेड शंकर लाल चौधरी, ऐपवा की जिला सचिव प्रेमलता, वरिष्ठ पत्रकार हिम्मत सेठ, इंजीनियर पीयूष जोशी, प्रो. हेमेन्द्र चंडालिया, प्रो. एलआर पटेल, डा. पी जोशी और अनेक जन संगठनों से जुड़े लोग उपस्थित थे.